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इन दिनों पाले की समस्या भी किसानों को बहुत परेशान कर रही है। क्या आप जानते हैं कि पाला किसे कहा जाता है और यह ज्यादातर कौन से इलाकों में होता है।
पाले की समस्या से कैसे पाए निजात
पाला शब्द हमेशा सर्दियों में सुनने को मिलता है। अगर आप शहर में रहते हैं तो आपके दिमाग में भी यह बात घूम रही होगी कि आखिरकार यह पाला क्या है और ठंड के मौसम में ही क्यों ज्यादातर में सुनने में आता है। शहरी इलाकों में पाला बहुत कम या फिर ना के बराबर ही पड़ता है। आज के इस लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि आखिरकार पाला क्या है और यह शहरी इलाकों में क्यों नहीं पड़ता है। अगर आप किसान है तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकता है। क्योंकि इसमें पाले की समस्या से कैसे छुटकारा पाना है, इसके बारे में भी इस आर्टिकल में बताया जाएगा।
पाला किसे कहते हैं
पाला मौसम की ही एक घटना है, पाला तब पड़ता है जब पर्यावरण का शून्य डिग्री सेल्सियस या फिर इस से नीचे तक जब तापमान चला जाता है। इस तापमान में जो जलवायु मौजूद होता है वह ठोस के रूप में जम जाता है। फिर ये पाला खेत, पेड़ पौधे, फसलों के साथ-साथ अन्य सभी चीजों पर सफेद चादर के रूप में बिछी हुई नजर आती है। फसलों को इस पाले से बचाना बहुत जरूरी है नहीं तो यह खराब पड़ जाती हैं।
पाले से फसलों को बचाना क्यों जरूरी
यूं तो आम लोगों को पाला देखने में बहुत सुंदर लगती है लेकिन किसानों के लिए यह परेशानियों का जड़ है। पाले की वजह से फसले बर्बाद हो जाती है। फसलों को पाले से बचने के लिए इन दिनों में प्लास्टिक की चादर से ढक देना चाहिए। खेतों में लगातार सिंचाई करते रहना चाहिए। क्योंकि सिंचाई के जरिए फसलों को पाले से बचना आसान है। फसल को अगर भूसे से भी ढक देंगे तो भी पहले से बची रहेगी।
शहर में क्यों नहीं पड़ता पाला
ज्यादातर शहरों में पाला नहीं पड़ता है, क्योंकि शहरों में जलवाष्प कम होते हैं। इस का कारण यह है कि शहरों में पेड़ पौधे काम होते हैं जिस वजह से पाला नहीं पड़ती है। शहरी इलाकों में हवा चलती रहती है और गाड़ियों की लगातार चलने की वजह से भी पाला पड़ने की संभावना कम रहती है।