Singharey ki Kheti इस सब्जी की खेती करके UP के किसान हो रहे हैं अमीर, इसकी खेती के लिए मिट्टी की जरूरत नहीं

Singharey ki Kheti

Singharey ki Kheti औषधीय गुणों से भरपूर इस सब्जी को बिना मिट्टी के उगाया जा सकता है। सिंघाड़ा की खेती करके यूपी के किसान अच्छी आमदनी ले रहे हैं। इसकी खेती मिट्टी में नहीं बल्कि कहीं और की जा रही है।

Singharey ki Kheti सिंघाड़े की खेती से किसान हो रहे मालामाल

यूपी के फर्रुखाबाद के किसान नई तकनीक को अपना कर फॉलो सब्जियों की खेती करने लगे हैं। इस जिले में अभी सिंघाड़े की खेती जोरों शोरों से की जा रही है।

पहले पहल तो कुछ किसान ही इसकी खेती करते थे। परंतु धीरे-धीरे इसकी आमदनी को देखते हुए ज्यादातर किसान सिंघाड़े की खेती करने लग गए हैं। दो दर्जन से भी अधिक किसान सिंघानों की खेती में लगे हुए हैं।

एक वह समय भी था जब किसान केवल परंपरागत खेती करते थे। इस खेती से हुई फसल से किस को उतना मुनाफा नहीं होता था जितना कि अब बागवानी से होने लग गया है।

परंपरागत फसलों की जगह फल और सब्जियां आकार वह अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। आपको बताते चलें कि कमालगंज क्षेत्र के ज्यादातर किसान तालाब में सिंघाड़े की खेती करके तगड़ी इनकम कमाने में लगे हुए हैं।

आईए जानते हैं तालाब में किस प्रकार से सिंघाड़े की खेती हो रही है और इससे क्या-क्या फायदे होते हैं।

Singharey ki Kheti सिंघाड़े में मौजूद है कई पोषक तत्व

बात करें सिंघाड़े में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की तो इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व शामिल है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट आयोडीन और मैगजीन की प्रचुर मात्रा शामिल है।

यह हमारे हेल्थी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद साबित होते हैं। इसे अलग-अलग तरीके से लोग खा सकते हैं। सर्दियों में इसकी बिक्री अधिक होती है।

अगर किसान एक बीघा में सिंघाड़े की फसल को तैयार करते हैं तो इसमें उन्हें 4 से 5 हजार रुपए का खर्च आ जाता है। इससे 75 क्विंटल से भी अधिक का उत्पादन हो जाता है। सिंघाड़ो की बिक्री से किसानों को 50 से 75000 तक की आमदनी हो रही है।

Singharey ki Kheti यह भी है इसके फायदे

जिले के थोक बाजार और कमालगंज नील मंडी में सिंघाड़े 20 से 30 रुपए किलो बिक रहे हैं। मगर जो किसान फुटकर मैं सिंघाड़े की बिक्री करते हैं वह 40 से 50 रुपए प्रति किलो इसकी बिक्री बाजार में कर रहे हैं।

इससे उन्हें कई गुना अधिक मुनाफा हो रहा है। इसी वजह से वहां के अधिकतर किसान इसकी खेती में लगे हुए हैं।

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कब होती है सिंघाड़े की रोपाई

सिंघाड़ो की रोपाई मार्च अप्रैल महीने से किसान शुरू कर देते हैं। इस प्रकार से सितंबर नवंबर तक की अगेती की फसल चलती है। यह सिंगर लड़ाई सर्दियों की फसल है यही वजह है कि सर्दियों में इसकी बिक्री अधिक होती है जिस वजह से किसान इन दोनों फायदे में रहते हैं।

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