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पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य शृंखला विकास मिशन – एक व्यापक दृष्टिकोण

by Aakash
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योजना का आरंभ

2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में वाणिज्यिक जैविक खेती के विकास के लिए एक योजना शुरू की थी। बाद में इसे ‘पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य शृंखला विकास मिशन’ (MOVCDNER) के रूप में जाना जाने लगा। MOVCDNER योजना का मुख्य उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र में जैविक खेती को प्रोत्साहित करना था। इसके तहत, कृषि उत्पादन में सुधार करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम और योजनाएं शुरू की गईं। यह योजना खेती के साथ-साथ पशुपालन, मत्स्यपालन, औद्योगिक विकास और पर्यटन क्षेत्र में भी विकास को प्रोत्साहित करने का उद्देश्य रखती है। इस योजना के तहत विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए गए, जिससे किसानों को सबसे अद्यतन तकनीक और जैविक खेती की अच्छी प्रथाओं के बारे में जानकारी मिल सके।

महत्वपूर्ण तथ्य

यह योजना 134 करोड़ रुपये के औसत वार्षिक आवंटन के साथ शुरू हुई थी। पिछले पांच वर्षों के दौरान, इसने अब तक 74,880 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया है। प्रभाव को दोगुना करने के लिए 3 साल की अवधि में 200 नए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के तहत अतिरिक्त 1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने के लक्ष्य के साथ आवंटन अब बढ़कर 200 करोड़ रुपये प्रति वर्ष हो गया है।

योजना के उद्देश्य:

  • वाणिज्यिक जैविक खेती को बढ़ावा देना।
  • किसानों की आय में वृद्धि करना।
  • पारंपरिक फसलों को उगाने और मूल्य बढ़ाने का समर्थन करना।
  • अनुबंध कृषि मॉडल के तहत उच्च मूल्य वाली फसलों को शामिल करना।

यह योजना पूर्वोत्तर क्षेत्र में वाणिज्यिक जैविक खेती को बढ़ावा देने और किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए है। इसके साथ ही, योजना का उद्देश्य है कि पारंपरिक फसलों को उगाए जाएं और उनकी मूल्य को बढ़ाया जाए। इसके अलावा, योजना अनुबंध कृषि मॉडल के तहत उच्च मूल्य वाली फसलों को भी शामिल करने का लक्ष्य रखती है।

किसान उत्पादक कंपनियों की भूमिका

किसान उत्पादक कंपनियां (एफपीसी) कृषक समूहों के रूपांतरण से संस्थागत तंत्र, गुणवत्ता और मात्रा के लिए सामूहिक उत्पादन और प्रसंस्करण शक्ति के साथ किसान को सशक्त बनाने और नए जैविक कृषि-उद्यमों का अभ्युदय सुनिश्चित करती हैं।

  • एफपीसी द्वारा किसानों को संस्थागत तंत्र के माध्यम से उत्पादन करने की सुविधा मिलती है।
  • इन कंपनियों का ध्यान मुख्य रूप से उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा पर होता है।
  • एक समूह में अधिक संख्या में किसानों का उत्पादन कराने से, उन्हें अधिक मार्गदर्शन और समर्थन मिलता है।
  • एफपीसी के माध्यम से किसानों को अपने उत्पादों की प्रसंस्करण शक्ति भी मिलती है।
  • इन कंपनियों के सहयोग से किसानों को जैविक कृषि-उद्यमों में भी विशेषज्ञता और सहायता प्राप्त होती है।

एफपीसी द्वारा किसानों को संस्थागत तंत्र, गुणवत्ता, मात्रा, सामूहिक उत्पादन, प्रसंस्करण और जैविक कृषि-उद्यमों का अभ्युदय करने में सहायता मिलती है।

योजना की सफलता की बातें

इस योजना के तहत किसानों को सशक्त बनाने, नए जैविक कृषि-उद्यमों का अभ्युदय सुनिश्चित करने, सामूहिक उत्पादन और प्रसंस्करण की शक्ति प्रदान करने जैसे कई लाभ हुए हैं। इस योजना ने किसानों को सशक्तिकरण का एक नया माध्यम प्रदान किया है और उन्हें बेहतर मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान किया है। इसके अलावा, नए जैविक कृषि-उद्यमों की उपलब्धता ने किसानों को नए आय स्रोतों की प्राप्ति में मदद की है। सामूहिक उत्पादन और प्रसंस्करण की शक्ति के कारण, किसानों को बेहतर बाजार एक्सेस और उचित मूल्य मिलने में मदद मिली है। इसलिए, योजना के प्रभाव से किसानों को अनेक लाभ मिले हैं।

कैसे योजना आगे बढ़ाती है

योजना को आगे बढ़ाते हुए, उसका लक्ष्य पारंपरिक फसलों को उगाने और मूल्य बढ़ाने के साथ-साथ अनुबंध कृषि मॉडल के तहत उच्च मूल्य वाली फसलों को भी शामिल करना है। इसका मतलब है कि योजना के तहत पारंपरिक फसलों को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनकी मूल्य भी वृद्धि करेगी और साथ ही अनुबंध कृषि की मदद से उच्च मूल्य वाली फसलों को भी सम्मिलित किया जा सकेगा।

पारंपरिक फसलों को उगाना और मूल्य बढ़ाना

योजना का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है पारंपरिक फसलों को उगाने और उनके मूल्य को बढ़ाना। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और पूर्वोत्तर क्षेत्र की पारंपरिक कृषि प्रणाली को भी बढ़ावा मिलेगा।

  • पारंपरिक फसलें उगाने के बाद, किसानों को अधिक मार्गदर्शन और सहायता मिलेगी।
  • फसलों के मूल्य में वृद्धि से किसानों को अधिक लाभ होगा।
  • किसान आय में इस योजना के प्रभाव से सुधार होगा।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र की पारंपरिक कृषि प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा और यह क्षेत्र कृषि में अग्रणी बनेगा।

इस योजना से किसानों को वृद्धि होने वाली आय और पूर्वोत्तर क्षेत्र की पारंपरिक कृषि प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा।

अनुबंध कृषि मॉडल के तहत उच्च मूल्य वाली फसलों को शामिल करना

अनुबंध कृषि मॉडल के तहत उच्च मूल्य वाली फसलों को शामिल करना योजना का एक अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्य है। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि क्षेत्र का विकास भी होगा।

  • अनुबंध कृषि मॉडल के तहत किसानों को उच्च मूल्य वाली फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
  • इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और उन्हें अधिक मुनाफा मिलेगा।
  • उच्च मूल्य वाली फसलें खेती करने से किसानों को मार्केट में अधिक मुद्रा कमाने का अवसर मिलेगा।
  • इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि क्षेत्र का विकास होगा और कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी।

इसलिए, अनुबंध कृषि मॉडल के तहत उच्च मूल्य वाली फसलों को शामिल करने से किसानों को बहुत लाभ होगा और पूर्वोत्तर क्षेत्र का कृषि क्षेत्र भी विकसित होगा।

किसान उत्पादक कंपनियों के द्वारा कृषक समूहों का संगठन

किसान उत्पादक कंपनियां (एफपीसी) द्वारा कृषक समूहों के संगठन करने से किसानों को सामूहिक उत्पादन और प्रसंस्करण की शक्ति मिलती है। इससे कृषकों को संस्थागत तंत्र, गुणवत्ता और मात्रा के लिए सहायता मिलती है, जिससे उन्हें सशक्त बनाने का अवसर मिलता है। इसके साथ ही, इस प्रक्रिया से नए जैविक कृषि-उद्यमों का भी विकास हो रहा है।

योजना के लाभ

योजना के तहत किसानों को सशक्त बनाया जा रहा है। इसके द्वारा नए जैविक कृषि-उद्यमों का अभ्युदय सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके साथ ही सामूहिक उत्पादन और प्रसंस्करण की शक्ति भी प्रदान की जा रही है। इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि क्षेत्र का विकास हो रहा है।

  • किसान सशक्तिकरण
  • जैविक कृषि-उद्यम
  • सामूहिक उत्पादन
  • प्रसंस्करण
  • कृषि विकास
    किसानों को सशक्त बनाने की राह
    योजना के तहत किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) द्वारा कृषक समूहों के रूपांतरण से किसानों को संस्थागत तंत्र, गुणवत्ता और मात्रा के लिए सशक्त बनाया जा रहा है। इससे नए जैविक कृषि-उद्यमों का अभ्युदय भी सुनिश्चित हो रहा है।
  • किसान उत्पादक कंपनियां (एफपीसी) द्वारा कृषक समूहों के रूपांतरण से किसानों को संस्थागत तंत्र के साथ सशक्त करने का प्रयास किया जा रहा है।
  • यह योजना किसानों को उनके उत्पादों की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करने में मदद करेगी।
  • इसके साथ ही, इस योजना के माध्यम से नए जैविक कृषि-उद्यमों का अभ्युदय भी होगा।

एफपीसी इस प्रक्रिया का नेतृत्व करेगा और कृषक समूहों को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। इससे किसानों को अधिक संसाधनों और अवसरों का लाभ मिलेगा, जो उन्हें संस्थागत तंत्र के अंतर्गत अपने उत्पादों को बेहतर ढंग से मार्केट में पेश करने में मदद करेगा। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और वे अधिक आय कमा सकेंगे।

इस योजना के द्वारा नए जैविक कृषि-उद्यमों का अभ्युदय भी होगा। किसानों को जैविक खेती के लिए तकनीकी सहायता और वित्तीय समर्थन प्रदान किया जाएगा। इससे किसानों को नवीनतम खेती प्र

नए जैविक कृषि-उद्यमों का अभ्युदय

  • किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) द्वारा कृषक समूहों के रूपांतरण से नए जैविक कृषि-उद्यमों का अभ्युदय होगा।
  • इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि क्षेत्र का विकास होगा।

सामूहिक उत्पादन और प्रसंस्करण की शक्ति

किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) द्वारा कृषक समूहों के रूपांतरण से संस्थागत तंत्र, गुणवत्ता और मात्रा के लिए सामूहिक उत्पादन एवं प्रसंस्करण शक्ति प्रदान की जा रही है। इससे किसानों को सशक्त बनाया जा रहा है और नए जैविक कृषि-उद्यमों का अभ्युदय सुनिश्चित हो रहा है। किसान उत्पादक कंपनियां कृषक समूहों के सहयोग से उनकी उत्पादन क्षमता को बढ़ा रही हैं। इसके माध्यम से, उन्हें उत्पादों की गुणवत्ता और मात्रा को बढ़ाने का मौका मिल रहा है। इसके अलावा, एफपीसी जैसी कंपनियां किसानों को सामूहिक उत्पादन और प्रसंस्करण की शक्ति प्रदान करके उन्हें बाजार में अधिक मुनाफा कमाने में मदद कर रही हैं। इसके परिणामस्वरूप, किसान समूहों को सशक्तिकरण का लाभ मिल रहा है और वे नए जैविक कृषि-उद्यमों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

समाप्ति विचार

प्रगति की सफलता का मापदंड

इस योजना की प्रगति को 134 करोड़ रुपये के औसत वार्षिक आवंटन, पिछले पांच वर्षों में 74,880 हेक्टेयर क्षेत्र कवरेज और अगले 3 वर्षों में 200 नए किसान उत्पादक संगठनों के तहत 1 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र कवरेज के लक्ष्य के आधार पर मापा जा सकता है।

भविष्य की दिशा की दृष्टि

इस योजना के तहत पारंपरिक फसलों को उगाने और मूल्य बढ़ाने, अनुबंध कृषि मॉडल के तहत उच्च मूल्य वाली फसलों को शामिल करने, किसानों को सशक्त बनाने, नए जैविक कृषि-उद्यमों का अभ्युदय सुनिश्चित करने और सामूहिक उत्पादन एवं प्रसंस्करण की शक्ति प्रदान करने जैसे कई लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने से पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि क्षेत्र का व्यापक विकास होगा।

FAQs:

क्या MOVCDNER योजना केवल पूर्वोत्तर क्षेत्र तक सीमित है? हाँ, MOVCDNER योजना पूर्वोत्तर क्षेत्र तक सीमित है।

MOVCDNER योजना के क्या प्रमुख उद्देश्य हैं? MOVCDNER योजना के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • कृषि उत्पादन को बढ़ावा देना
  • किसानों की आय बढ़ाना
  • पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करना
  • सशक्त कृषि आर्थिकी को स्थायी बनाना

किसान उत्पादक कंपनियों (एफपीसी) की भूमिका क्या है? किसान उत्पादक कंपनियां (एफपीसी) कृषि उत्पादन, उपज और बाजारी गतिविधियों में संलग्न होती हैं और किसानों को विपणन और औद्योगिक संसाधनों की सुविधाएं प्रदान करती हैं।

MOVCDNER योजना के क्या प्रमुख लाभ हैं? MOVCDNER योजना के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:

  • कृषि उत्पादन के लिए मूल्ययुक्त बाजार उपलब्ध कराना
  • किसानों की आय में वृद्धि करना
  • कृषि तकनीकियों का उपयोग करके उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ाना
  • पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करना

MOVCDNER योजना की प्रगति का मापदंड क्या है? MOVCDNER योजना की प्रगति का मापदंड सामान्यतः कृषि उत्पादन में वृद्धि, किसानों की आय में वृद्धि, पर्यावरण संरक्षण की स्थिति और कृषि तकनीकियों का उपयोग का गठबंधन होता है।

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