Makhana seeds production अब केवल रिसर्च सेंटर में ही नहीं बल्कि किसान मखाना की खेती के साथ-साथ अब इसका उत्पादन भी करेंगे। बिहार सरकार किसानों को मखाना बीच उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करेगी।
Makhana seeds production by Kisan
Makhana seeds production किसानों की आय को दुगनी करने के लिए बिहार सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। किसानों को मखाना बीज उत्पादन के लिए राज्य सरकार अब उन्हें प्रोत्साहित करने का काम शुरू करेगी।
यहां पर पहले रिसर्च के जरिए ही मखाना बीज का उत्पादन किया जाता था, परंतु अब किसान भी मखाना की खेती के साथ-साथ इसके बीज का उत्पादन करेंगे।
जानकारी के लिए आपको बताते चलें कि उद्यान निदेशालय ने Makhana Vikas Yojana में 10 सूबे मौजूद है, जिसमें से 4 जिले में किसानों के जरिए उन्नत प्रजाति के सबौर मखाना 1 और स्वर्ण वैदेही मखाना बीज उत्पादन करने के लिए सरकार ने निर्णय लिया है।
आईए जानते हैं कौन से वह जिले हैं जहां के किसान मखाने की खेती भी करेंगे और इसके बीज का उत्पादन भी करेंगे।
Makhana seeds production बिहार सरकार ने शुरू की मखाना विकास योजना
मखाने की खेती के लिए किसानों को जागरूक करना एवं खेती के लिए प्रेरित करने के लिए बिहार सरकार ने मखाना विकास योजना 2023 – 24 चलाई है।
इस योजना के तहत ही किसानों को बिहार सरकार 75 फ़ीसदी तक की सब्सिडी दे रही है। प्रति हेक्टेयर इकाई लागत 97 हजार रुपए सरकार की तरफ से तय की गई है। इस पर किसानों को 75% की सब्सिडी मिलेगी।
इसके हिसाब से किसानों को 72,750 सब्सिडी के तौर पर सरकार देगी। इस योजना से किसानों को काफी हद तक आर्थिक मदद भी मिलेगी। राज्य सरकार ने वहां के किसानों के लिए बेहतरीन मौका उपलब्ध करवाया है।
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मखाना के बीज का होगा वितरण
बिहार राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही इस योजना के तहत मखाने के बीजों का वितरण होगा। 5400 रुपये प्रति हेक्टेयर बीज कीमत का 75 फीसदी सब्सिडी किसान भाइयों को मिलेगी।
अगर आप किसान है और दुगनी आमदनी कमाना चाहते हैं तो आपको भी बिहार सरकार द्वारा चलाई जा रही इस योजना का लाभ लेना चाहिए।
इस योजना को बिहार सरकार ने मधुबनी, कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया, अररिया, सहरसा और दरभंगा के अलावा अन्य कई जिलों में शुरू किया गया है।
मखाने की खेती के साथ-साथ बीजों का उत्पादन करके किसानों को कई गुना फायदा होने वाला है। मखाने जितने हमारे सेहत के लिए फायदेमंद है
, उतना ही किसानों के लिए भी लाभकारी है। परंपरागत खेती से किसान अब बागवानी खेती की तरफ बढ़ने लग गए हैं। जिसका नतीजा यह है कि उन्हें मुनाफा ही मुनाफा हो रहा है।