किसान मंडी में गेहूं ले जा रहे हैं तो पहले कर ले ये जरूरी काम, नहीं तो हो जाएगा नुकसान

गेहूं की फसल मंडी में जाने के लिए तैयार हो चुकी है देश के ऐसे कई राज्य है जहां पर गेहूं की खरीद भी एमएसपी रेट पर शुरू हो चुकी है। मध्य प्रदेश के किसानों के लिए खुशखबरी है कि वहां की सरकार राज्य के किसानों को 125 रुपए का बोनस न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद पर दे रही है।

गेहूं मंडी में ले जाने से पहले करना होगा यह काम

गेहूं की फसल का सीजन चल रहा है और ऐसे में अब गेहूं मंदिरों में पहुंचने के लिए एकदम तैयार हो चुकी है। देश के कई राज्यों में गेहूं की खरीद भी सरकार ने शुरू कर दी है। ऐसे में अगर मध्य प्रदेश के किसान मंडी में गेहूं ले जा रहे हैं तो उनसे पहले उन्हें कुछ काम कर लेने होंगे तभी उनकी गेहूं एमएसपी रेट पर खरीदी जाएगी नहीं तो नहीं खरीदी जाएगी। कई राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि की MSP पर गेहूं की खरीद शुरू की जा चुकी है। किसान मंडियों में अपना गेहूं बेचने के लिए लेकर जाने लगे हैं, ख़ासकर मध्य प्रदेश में। मध्य प्रदेश सरकार इस वर्ष किसानों को गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद पर 125 रुपये का बोनस देने जा रही है, वहीं इस वर्ष केंद्र सरकार द्वारा गेहूं का समर्थन मूल्य 2275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। प्रदेश सरकार ने किसानों के लिए कुछ दिशा निर्देश जारी किए हैं जिसके तहत ही किसानों को गेहूं की बिक्री करनी होगी। क्या है वह दिशा निर्देश चलिए जानते हैं विस्तार से।

 

कलेक्टर ने दी किसानों को यह सलाह

राज्य के कलेक्टर दीपक सक्सेना ने किसानों को गेहूं में बेचते समय कोई और सुविधा न हो उसके लिए सलाह दी है। किसानों को स्‍लॉट बुक करने के बाद एफएक्यू गुणवत्ता की उपज खरीदी केन्‍द्रों पर लाने की सलाह दी है, वहीं उपार्जन व्यवस्था से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों को भी विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर बिना स्लॉट बुकिंग के उपार्जन केंद्रों पर आये गेहूँ की खरीदी नहीं करने की हिदायत दी है। इसलिए किसानों को इस बात का खास ध्यान रखकर ही मंडी में जाना होगा।

बिना बुकिंग गेहूं की नहीं होगी खरीद

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने रबी सीजन में बिना स्लॉट बुकिंग के गेहूँ की खरीदी पर रोक लगाई दी है। साथ ही उपार्जन व्यवस्था से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों को हिदायत दी है कि बिना स्लॉट बुक किये उपार्जन केंद्रों पर गेहूँ लेकर आये किसानों से खरीदी न की जाये तथा ऐसे किसानों की जानकारी संकलित कर उनका पंजीयन निरस्त करने जिला आपूर्ति अधिकारी को प्रस्ताव प्रेषित किया जाये। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि धन की बिक्री करने आए किसानों को मंदिरों में विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ा था ऐसा उन्हें गेहूं की बिक्री में ना हो इसलिए यह दिशा निर्देश जारी हुए हैं।

इन मापदंड के अनुसार मंडी में ले जाना होगा गेहूं

प्रदेश सरकार द्वारा जो जारी दिशा निर्देशों में स्पष्ट कहा गया है कि किसान साफ-सुथरा गेहूं ही मंडी में बेचने के लिए लायें। स्लॉट बुक करने के बाद भी यदि किसान नान-एफएक्यू गेहूँ लेकर आते हैं तो उन्हें अपने खर्चे पर उसे अपग्रेड कराना होगा। इसके लिये प्रत्येक उपार्जन केंद्र पर छन्ना, पंखा, ग्रेडिंग मशीन और मॉइश्चर मीटर की व्यवस्था की गई है। किसान समिति को निर्धारित शुल्क का भुगतान कर अपनी उपज को अपग्रेड कराना होगा। समिति द्वारा इस शुल्क को नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित किया जायेगा। निर्देशों में अधिकारियों को एफएक्यू गेहूँ की जाँच का किसानवार रिकार्ड रखने के लिए भी सख्त हिदायत दी गई है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि जो भी किसान मंडियों में गेहूं की उपज को साफ कराते हैं या अपनी उपज को अपग्रेड कराते हैं उसके लिए जो भी शुल्क मंडी समिति के द्वारा लिया जाता है उसकी रसीद किसानों को दी जायेगी। यदि रसीद नहीं दी जाती है तो इसे अवैध वसूली माना जायेगा और इसके लिये विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जायेगी।

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