गन्ने के किसान बेहद ही कम खर्चे में फसल की उत्पादन को बढ़ा सकते हैं। इसके लिए उन्हें अपने खेतों में देसी गाय के गोबर और मूत्र से तैयार करके खाद को छिड़काव करना होगा। इसमें बिल्कुल ना के बराबर खर्चा आता है। और उत्पादन इतना होता है कि किसान मालामाल हो जाएंगे।
कम लागत में गन्ने का उत्पादन बढ़ाएं
किसान फसलों से ज्यादा उपज प्राप्त करना चाहते हैं लेकिन उसे पर जो खर्च लग रहा है उसे वह काफी परेशान हो रहे हैं यही वजह है कि कई जिलों में किसान इन चीजों से दुखी होकर खुदकुशी कर लेते हैं या फिर कर्ज में डूब जाते हैं। फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसान महंगे से महंगे रासायनिक उर्वरक खेतों में इस्तेमाल करते हैं। परंतु जब फिर भी अच्छे से उपज प्राप्त नहीं होती है तो वह मायूस हो जाते हैं। ऐसे में शाहजहांपुर के किस है, जिन्होंने ‘जीरो बजट’ सिस्टम से खेती कर लाखों रुपये की कमाई की है। खास बात यह है कि नाममात्र का खर्च करने से गुणवत्तापूर्ण उत्पादन भी मिल रहा है। वह गन्ने का उत्पादन बढ़ाने के लिए देसी गाय के गोबर और उसके मूत्र के खाद का इस्तेमाल कर रहे हैं। किस तरीके से वह अपने गन्ने की फसल के उत्पादन को बढ़ा रहे हैं आईए जानते हैं विस्तार से।
खेतों में देसी गाय के गोबर का करते हैं छिड़काव
जहां फसल से अधिक मुनाफा कमाने के लिए अधिकतर किसान रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन फिर भी उन्हें मुनाफा नहीं होता वही शाहजहांपुर की पुवायां तहसील के छोटे से गांव बुझिया के रहने वाले युवा किसान ज्ञानेंद्र वर्मा पिछले 4 साल से 22 बीघा जमीन पर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। वह आमतौर पर घर और खेत में ही मौजूद रहने वाले पेड़-पौधों, गोमूत्र और देसी गाय के गोबर से जैविक कीटनाशक और उर्वरक तैयार कर खेतों में इस्तेमाल करते हैं। जिस से फसल की पैदावार अच्छी होती है और इसके खाने वाले पर भी कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। आपको बताते चलें कि उनके पास तीन से चार देसी गाय हैं, जिनके गोबर और गोमूत्र से अर्क बनाते हैं। इनका इस्तेमाल सिंचाई के समय या फिर छिड़काव के दौरान करते हैं। ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि पंचगव्य बनाने के लिए वह देसी गाय का गोबर, गोमूत्र, छाछ और घी का इस्तेमाल करते हैं। पता करने से मिट्टी को स्वस्थ रखने वाले जीवाणु भी पैदा होते हैं जिससे उपज में काफी मदद मिलती है।
फसलों पर जैविक खाद का करते हैं छिड़काव
अच्छी और चमकदार फसल प्राप्त करने के लिए वह जब फसल में फूल और फल आ रहे होते हैं, तब वह आम्र एंजाइम या बेल एंजाइम बनाकर फसलों पर छिड़काव करते हैं। पौधों की वृद्धि अच्छी होती है और फल गिरता नहीं है। इससे तैयार होने वाली फसल का उत्पादन अच्छा मिलता है। उन्हें देखकर उनके आसपास के और भी किसान उनके तरीके को अपना रहे हैं और गन्ने की खेती के उत्पादन को बढ़ाकर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।